July 15, 2012

बस आज मेरा ये कहा मान लो


नहीं कुछ कहने की जरूरत नहीं,
नहीं कुछ करने की जरूरत नहीं,
एक घुटन सी महसूस होती है,
बस यों ही पास बैठे रहो.

नहीं मुझे चाँद नहीं चाहिए,
आसमाँ के सितारों की चाहत नहीं,
बहुत अकेला लग रहा है,
बस मेरा हाथ थामे रहो.

नहीं मेरा हँसने का मन नहीं,
आज मुस्कुराने का मन नहीं,
आज दिल है बस रोती रहूँ,
अपनी बाहों में छुपा लो.

नहीं कहीं घूमने नहीं जाना,
बाहरी नज़ारों से इश्क नहीं,
आज चाहत है बस सोती रहूँ,
अपने सीने में पनाह दो.

सच कहती हूँ,
फिर कभी कुछ नहीं माँगुंगी मोहसिन,
बस आज मेरा ये कहा मान लो.

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